Friday, July 15, 2022

SHIVOHAM


हर हर हर हर हर हर हर हर महादेव ..

हर हर हर हर हर हर हर हर महादेव ..

ओम…

भैरव रुद्राय

महा रुद्राय

काल रुद्राय

कल्पान्त रुद्राय

वीर रुद्राय

उग्र रुद्राय

घोर रुद्राय

अघोर रुद्राय

मार्तंड रुद्राय

अण्ड रुद्राय

ब्रह्माण्ड रुद्राय

चण्ड रुद्राय

प्रचंड रुद्राय

थंड रुद्राय

सूर रुद्राय

वीर रुद्राय

भव रुद्राय

भीम रुद्राय

अथल रुद्राय

विथल रुद्राय

सुथल रुद्राय

महाथल रुद्राय

रसातल रुद्राय

तलातल रुद्राय

पाताल रुद्राय

नमो नमः

ओम शिवोहम .. ओम शिवोहम ..रुद्र नामम भजेहम ..

ओम शिवोहम .. ओम शिवोहम ..रुद्र नामम भजेहम ..

वीर भद्राय अग्नि नेत्राय घोर सम्हारहा

सकला लोकाया सर्व भुताय सत्य साक्षातकरा

शंभो शंभो शंकरा

ओम शिवोहम ..ओम शिवोहम ..रुद्र नामम भजेहम ..

हर हर हर हर हर हर हर हर महादेव

ओम

नमः सोमाय च रुद्राय च नामस्तामराय चरुनाय च

नमः संघाय च पशुपतये च

नम: उग्राय च भीमाय च

नमो अग्रेवधाय दुरे वधाय च

नमो हंत्रे च हनीयसे च

नमो वृक्षशेभ्यो हरिकेषेभ्यो....नम: सताराय नम: शम्भवे च

मयो भवे च ...नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च

अंड ब्रम्हाण्ड कोटि अखिल परिपालना पूर्णा जगत कारणा सत्य देव देव प्रिया...

वेद वेदार्थ सारा यज्ञ यज्ञोमया.... निश्चल दुष्‍ट निर्गहा... सप्त लोग संरक्षणा

सोम सूर्य अग्नि लोचना श्वेत ऋषभ वाहना

सूल पानी भुजंग भूषणा त्रिपुर नाश नर्धना

योमकेस महासेन जनका...पंच वक्र परसु हस्त नमः ....

ओम शिवोहम.. ओम शिवोहम... रुद्र नामम भजेहं.....भजेहं

ओम शिवोहम ..ओम शिवोहम... रुद्र नामम भजेहं ....भजेहं

काल त्रिकाल नेत्र त्रिनेत्र सुल त्रिसूल धात्रम

सत्य प्रभाव दिव्य प्रकाश मन्थ्र स्वरूप मात्रं

निश्प्रपंचाधि निष्कलंकोहम...निज पूर्ण बोधहॅम हम

गथ्य गात्मागम्....नित्य ब्रम्होगम....स्वपना कसोगम हम हम

सचित् प्रमाणम ओम ओम मूल प्रमेग्यम ओम ओम

अयम् ब्रह्मास्मि ओम ओम ...अहम् ब्रम्हस्मि ओम ओम

गण गण गण गण गण गण गण गण सहस्र कांत सप्त विहरकी

डम डम डम डम डुम डुम डुम डुम शिव डमरुघ नाध विहरक

ओम शिवोहम ...ओम शिवोहम ...रुद्र नामम भजेहम ...भजेहम ..

रू..करुणा मयू सगू

अंड ब्रम्हाण्ड कोटि अखिल परिपालना पूर्णा जगत कारणा सत्य देव देव प्रिया...

वेद वेदार्थ सारा यज्ञ यज्ञोमया.... निश्चल दुष्‍ट निर्गहा... सप्त लोग संरक्षण

सोम सूर्य अग्नि लोचना श्वेत ऋषभ वाहना...

सूल पानी भुजंग भूषणा त्रिपुर नाश नर्धना....

योमकेस महासेन जनका...पंच वक्र परसु हस्त नमः ....

ओम शिवोहम...ओम शिवोहम ...रुद्र नामम भजेहम ...भजेहम ..भजेहम

ओम शिवोहम...ओम शिवोहम ...रुद्र नामम भजेहम ...भजेहम ..भजेहम

Monday, July 11, 2022

SHIVOPASANA MANTHRAM



The Shiva Upasana mantra and other Rudra mantras which appear in the Maha Narayano Upanishad (Narayana Upanishad / Narayana Valli), Taittireeya Shakha of Yajur Veda


निधनपतये नमः । निधनपतान्तिकाय नमः ।

ऊर्ध्वाय नमः । ऊर्ध्वलिङ्गाय नमः ।

हिरण्याय नमः । हिरण्यलिङ्गाय नमः ।

सुवर्णाय नमः । सुवर्णलिङ्गाय नमः ।

दिव्याय नमः । दिव्यलिङ्गाय नमः ।

भवाय नमः। भवलिङ्गाय नमः ।

शर्वाय नमः । शर्वलिङ्गाय नमः ।

शिवाय नमः । शिवलिङ्गाय नमः ।

ज्वलाय नमः । ज्वललिङ्गाय नमः ।

आत्माय नमः । आत्मलिङ्गाय नमः ।

परमाय नमः । परमलिङ्गाय नमः ।

एतत्सोमस्य सूर्यस्य सर्वलिङ्गग्ग स्थापयति पाणिमन्त्रं पवित्रम् ॥

सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः |
भवे भवे नाति भवे भवस्व माम् |
भावोद्भवाय नमः |

वामादेवाय नमो" ज्येष्ठाय नमः - श्रेष्ठाय नमो
रुद्राय नमः कालय नमः कलविकरणाय नमो
बलविकरणाय नमो बलाय नमो बलप्रमथनाय नमः
सर्वभूत दमनाय नमो
मनोन्मनाय नमः ॥

अघोरे"भ्योऽथ घोरे"भ्यो घोरघोरतरेभ्यः ।
सर्वे"भ्य -सर्व सर्वे"भ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः ॥

तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि ।
तन्नो रुद्रः प्रचोदया"त्॥

ईशानः सर्व विद्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपतिर्ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम् ॥

ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय हिरण्यपतयेअम्बिकापतय उमापतये पशुपतये’ नमो नमः ॥

ऋतगम सत्यं परं ब्रह्म पुरुषं कृष्णपिङ्गलम् ।
ऊर्ध्वरेतं विरूपाक्षं विश्वरूपाय वै नमो नमः ।
सर्वो वै रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ।
पुरुषो वै रुद्रः सन्महो नमो नमः
विश्वं भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायमानं च यत् ।

सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ।

कद्रुद्राय प्रचेतसे मीढुष्टमाय तव्यसे वोचेम शन्तमगुम हृदे ।
सर्वोह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

ईशान सर्वविद्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपति ब्रह्मणोऽधिपतिर्।
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम् ॥

तत्पुरूषाय विद्महे वाग्विशुद्धाय धीमही तन्न शिव: प्रचोदयात् ।

महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमही तन्न शिव: प्रचोदयात् ।

नमस्ते अस्तु भगवान विश्वेश्वरैया, महादेवाय,
त्र्यंबकाया, त्रिपुरांतकया
त्रिकग्नि कालया, कालाग्नि रुद्राय:
नीला कंठया, मृत्युंजय:
सर्वेश्वरैया, सदाशिवय श्रीमनमहादेवाय:
नमः श्रीमन्महादेवाय नमः
श्रीमन्महादेवाय नमः

ओम शांति शांति शांति

Sunday, July 3, 2022

EKADANTAYA VAKRATUNDAYA



वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघनम कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

गणनायकाय गणदैवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ।
गुणशरीराय गुणमण्डिताय गुणेशानाय धीमहि ।
गुणाधिताया गुणाधीशाय गुन प्रविष्टाय धीमहि ।

एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

गानचतुराय गानप्राणाय गानान्तरात्मने ।
गानोत्सुकाय गानमत्ताय गानोत्सुक मनसे ।
गुरुपूजिताय गुरुदैवताय गुरुकुलस्थायिने ।
गुरुविक्रमाय गुह्यप्रवराय गुरवे गुणगुरवे ।
गुरुदैत्यगलच्छेत्रे गुरु सर्म सराध्याय ।
गुरुपुत्रपरित्रात्रे गुरुपाखण्डखण्डकाय ।
गीत साराय गीत तत्त्वाय गीत गोत्राय धीमहि ।
गूढ गुल्फाय गन्धमत्ताय गोजयप्रदाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।

एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

एकदंताय धीमहि ।

गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ।
गुणशरीराय गुणमण्डिताय गुणेशानाय धीमहि ।
गुणाधिताया गुणाधीशाय गुन प्रविष्टाय धीमहि ।

एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।

श्रीगणेशाय धीमहि
श्रीगणेशाय धीमहि
श्रीगणेशाय धीमहि

Saturday, July 2, 2022

HANUMAN CHALISA



श्रीगुरु चरन सरोज रज

निज मनु मुकुरु सुधारि ।

बरनऊँ रघुबर बिमल जसु

जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके

सुमिरौं पवनकुमार ।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं

हरहु कलेस बिकार ॥

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा ।

अंजनिपुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।

कुमति निवार सुमति के संगी ॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।

कानन कुंडल कुंचित केसा ॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।

काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥

संकर सुवन केसरीनंदन ।

तेज प्रताप महा जग बंदन ॥

विद्यावान गुनी अति चातुर ।

राम काज करिबे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।

राम लखन सीता मन बसिया ॥

सूक्श्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।

बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।

रामचंद्र के काज सँवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाये ।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।

नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।

कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।

राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना ।

लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥

जुग सहस्र जोजन पर भानू ।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।

जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥

दुर्गम काज जगत के जेते ।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥

राम दुआरे तुम रखवारे ।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।

तुम रच्छक काहू को डर ना ॥

आपन तेज संहारो आपै ।

तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।

महाबीर जब नाम सुनावै ॥

नासै रोग हरै सब पीरा ।

जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै ।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।

तिन के काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोई लावै ।

सोई अमित जीवन फल पावै ॥

चारों जुग परताप तुम्हारा ।

है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु संत के तुम रखवारे ।

असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।

अस बर दीन जानकी माता ॥

राम रसायन तुम्हरे पासा ।

सदा रहो रघुपति के दासा ॥

तुम्हरे भजन राम को पावै ।

जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अंत काल रघुबर पुर जाई ।

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त न धरई ।

हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा ॥

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।

कृपा करहु गुरु देव की नाईं ॥

जो सत बार पाठ कर कोई ।

छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा ।

होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।

कीजै नाथ हृदय मँह डेरा

कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥

दोहा

पवनतनय संकट हरन

मंगल मूरति रूप ।

राम लखन सीता सहित

हृदय बसहु सुर भूप ॥

Friday, July 1, 2022

NIRVANA ASHTAKAM / CHIDANANDA SHIVOHAM



मनोबुद्ध्यहङ्कार चित्तानि नाहं
न च श्रोत्रजिह्वे न च घ्राणनेत्रे ।
न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायु
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥1॥

न च प्राणसंज्ञो न वै पञ्चवायु
न वा सप्तधातुः न वा पञ्चकोशः ।
न वाक्पाणिपादं न चोपस्थपायु
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥2॥

न मे द्वेषरागौ न मे लोभमोहौ
न मे वै मदो नैव मे नैव मात्सर्यभावः ।
न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्षः
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥3॥

न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं
न मन्त्रो न तीर्थं न वेदा न यज्ञाः ।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥ 4 ॥

न मे मृत्यु न शङ्का न मे जातिभेदः
पिता नैव मे नैव माता न जन्मः ।
न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्यः
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥ 5 ॥

अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो
विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् ।
न चासङ्गतं नैव मुक्तिर्न मेयः
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥6॥

VIBHUTI DHARANA MANTHRA

ఓం అగ్ని రితి భస్మ వాయురితి భస్మ,
జలమితి భస్మ, స్థాలమితి భస్మ, వ్యోమేతి భస్మ,
సర్వగుం హవైదగుం భస్మ
వాజ్మన ఇత్యేతాని (etyethani) చక్షూగుంషి కారణాని భస్మాని.

భూతిం భూతకరి,పవిత్ర జననీ పాపౌఘ విధ్వంసినీ
సర్వోపద్రవ నాశనీ శుభకరీ సర్వార్థ సంపత్కరీ
భూత ప్రేత పిశాచ రాక్షస ఘనారిష్టాది సంహారిణీ
తేజోరాజ్య విశేష మోక్షణకరి భూతి స్సదాధార్యతాం

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

ఓం త్రయంబకం యజామహే సుగంధిం పుష్టి వర్ధనం |
ఉర్వారుకమివ బంధనాన్ మృత్యోర్ ముక్షీయ మామృతాత్ ||

Sri Datta Ashtakam

श्री दत्ताष्टकम् गुरुमूर्तिं चिदाकाशं सच्चिदानन्दविग्रहम् । निर्विकल्पं निराबाधं दत्तमानन्दमाश्रये ॥ 1 ॥ योगातीतं गुणातीतं सर्वरक्षा...