Saturday, July 2, 2022

HANUMAN CHALISA



श्रीगुरु चरन सरोज रज

निज मनु मुकुरु सुधारि ।

बरनऊँ रघुबर बिमल जसु

जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके

सुमिरौं पवनकुमार ।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं

हरहु कलेस बिकार ॥

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा ।

अंजनिपुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।

कुमति निवार सुमति के संगी ॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।

कानन कुंडल कुंचित केसा ॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।

काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥

संकर सुवन केसरीनंदन ।

तेज प्रताप महा जग बंदन ॥

विद्यावान गुनी अति चातुर ।

राम काज करिबे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।

राम लखन सीता मन बसिया ॥

सूक्श्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।

बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।

रामचंद्र के काज सँवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाये ।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।

नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।

कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।

राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना ।

लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥

जुग सहस्र जोजन पर भानू ।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।

जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥

दुर्गम काज जगत के जेते ।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥

राम दुआरे तुम रखवारे ।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।

तुम रच्छक काहू को डर ना ॥

आपन तेज संहारो आपै ।

तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।

महाबीर जब नाम सुनावै ॥

नासै रोग हरै सब पीरा ।

जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै ।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।

तिन के काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोई लावै ।

सोई अमित जीवन फल पावै ॥

चारों जुग परताप तुम्हारा ।

है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु संत के तुम रखवारे ।

असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।

अस बर दीन जानकी माता ॥

राम रसायन तुम्हरे पासा ।

सदा रहो रघुपति के दासा ॥

तुम्हरे भजन राम को पावै ।

जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अंत काल रघुबर पुर जाई ।

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त न धरई ।

हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा ॥

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।

कृपा करहु गुरु देव की नाईं ॥

जो सत बार पाठ कर कोई ।

छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा ।

होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।

कीजै नाथ हृदय मँह डेरा

कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥

दोहा

पवनतनय संकट हरन

मंगल मूरति रूप ।

राम लखन सीता सहित

हृदय बसहु सुर भूप ॥

2 comments:

  1. Thank you Madam, if any manthras or stotras or bhajan plz do write to me i will try to publish so that people can benefit

    ReplyDelete

Sri Datta Ashtakam

श्री दत्ताष्टकम् गुरुमूर्तिं चिदाकाशं सच्चिदानन्दविग्रहम् । निर्विकल्पं निराबाधं दत्तमानन्दमाश्रये ॥ 1 ॥ योगातीतं गुणातीतं सर्वरक्षा...